अनुज बहुत उदास था. स्कूल में झूला झूलते हुए वह गिर गया और उसके दाएं हाथ की हड्डी टूट गई. एक महीने बाद ही बैडमिंटन का कितना महत्वपूर्ण मैच था. अब वह नही खेल सकेगा.
अपने सख़्त कोच का चेहरा उसे याद आने लगा. खेलते समय छोटी से छोटी गलती पर कितना डांटते थे. अब तो उससे इतनी बड़ी भूल हो गई थी. अब कितनी डांट पड़ेगी सोंच कर वह घबरा रहा था.
तभी उसकी मम्मी ने बताया कि कोच सर उससे मिलने आए हैं. कोच सर ने कमरे में प्रवेश किया. उनके हाथ में फूलों का गुलदस्ता था. हमेशा की तरह चेहरे पर कठोरता नही अपितु कोमलता थी.
अनुज बोला "सॉरी सर अब मैं मैच नही खेल पाऊंगा."
प्यार से सर पर हाथ फेर कर सर बोले "कोई बात नही अगली बार खेल लेना. अभी तो तुम्हारी शुरुआत है. परेशान मत हो."
अपने कोच का यह रूप देख अनुज के मन का बोझ उतर गया.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें