बस्ती के बाहर बरगद के पेड़ के नीचे बच्चा बाबा की समाधी थी. बच्चा बाबा कौन थे कहाँ से आए थे कोई नही जानता था. मानवता से बड़ा कोई धर्म नही होता यह बात उन्होंने अपने सेवा भाव द्वारा साबित कर दिखाई थी. बस्ती के गरीब और उपेक्षित लोगों में आत्मसम्मान से जीने की भावना जगाई थी. बच्चों को शिक्षित करने का काम किया था. किसी ने भी कभी उनके धर्म या जाति का पता लगाने का प्रयास नही किया. वह प्यार से सबको बच्चा कह कर पुकारते थे. अतः सब उन्हें बच्चा बाबा कहते थे. उनके मरने पर लोगों ने उनकी समाधी बना दी.
इधर कई सालों से समाधी उपेक्षित पड़ी रहती थी. परंतु आज किसी ने वहाँ सफाई की थी. समाधी पर कुछ फूल चढ़ाए थे.
यह फूल उस लड़के की बच्चा बाबा को श्रद्धांजली थी जिसके बहके कदमों को उन्होंने सही राह दिखाई थी.
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